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पारदर्शी कराधान- ईमानदार का सम्मान (Transparent Taxation, Honoring the Honest)

  • 11th September, 2020

(प्रारम्भिक परीक्षा : आर्थिक और सामाजिक विकास, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ; मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-3: विषय- भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से सम्बंधित विषय)

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, प्रधानमंत्री द्वारा "पारदर्शी कराधान - ईमानदार का सम्मान" पोर्टल का शुभारम्भ किया गया।

मुख्य बिंदु :

  • इस पोर्टल में फेसलेस मूल्यांकन, फेसलेस अपील और करदाताओं के लिये एक चार्टर जैसे प्रमुख सुधारों को समाहित किया गया है।
  • कर अनुपालन में ढील देने के उद्देश्य से और कोरोनोवायरस (COVID-19) महामारी के बीच ईमानदार करदाताओं को पुरस्कृत करने के उद्देश्य से इस पोर्टल को शुरू किया गया है। ध्यातव्य है कि कोविड-19 के बढ़ते मामलों और लॉकडाउन के वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है।
  • यह प्लेटफॉर्म सरकार के टैक्स सिस्टम में सुधार और सरलीकरण के प्रयासों को मज़बूती प्रदान करेगा।

फेसलेस आकलन/मूल्यांकन :

  • फेसलेस मूल्यांकन के तहत करदाता के रिटर्न की जाँच यादृच्छिक रूप से चयनित कर अधिकारी द्वारा की जाएगी और ज़रूरी नहीं कि यह अधिकारी उसी कर क्षेत्र का हो।
  • यह करदाता और कर अधिकारी के बीच किसी भी सीधे सम्पर्क की आवश्यकता को ख़त्म करेगा, जिससे किसी भी प्रकार के पूर्वाग्रह और भ्रष्टाचार को बढ़ावा नहीं मिलेगा।
  • इस कदम से मूल्यांकनकर्ताओं के लिये कर अनुपालन का बोझ कम करने और "ईमानदार करदाता" को पुरस्कृत करने में सहायता मिलेगी, इमानदार करदाता राष्ट्र-निर्माण में एक बड़ी भूमिका निभाते हैं।
  • एक फेसलेस कर प्रणाली, करदाता को प्रणाली की निष्पक्षता और निर्भीकता पर विश्वास दिलाती है। साथ ही यह आयकरदाताओं की निजता और गोपनीयता बनाए रखने में मदद करती है।
  • यह नई मूल्यांकन प्रणाली आयकर कार्यालयों को उनके क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र से दूर करके भ्रष्ट प्रथाओं को समाप्त करने में सहायक सिद्ध होगी।

फेसलेस अपील की सुविधा :

  • यह सुविधा 25 सितम्बर से सभी नागरिकों के लिये उपलब्ध होगी (दीन दयाल उपाध्याय की जयंती के अवसर पर)।
  • फेसलेस अपील प्रणाली करदाता को भौतिक रूप से उपस्थित हुए बिना कर अधिकारी के फैसले के खिलाफ अपील करने की सुविधा प्रदान करती है।

करदाताओं का चार्टर :

  • वित्त मंत्री द्वारा वित्त वर्ष 2020-21 के केंद्रीय बजट में करदाताओं के चार्टर की घोषणा की गई थी।
  • चार्टर एक ईमानदार करदाता के सभी अधिकारों और कर्तव्यों को रेखांकित करता है।
  • यह कर विभाग की प्रतिबद्धता और करदाताओं की अपेक्षाओं को भी परिभाषित करता है।
  • यह करदाता के अधिकारों और कर्तव्यों को एक साथ लाने और करदाताओं के प्रति सरकार की ज़िम्मेदारियों के उचित प्रबंधन की दिशा में एक कदम है।

पोर्टल की ज़रूरत :

उच्च स्तर की व जटिल कर प्रणाली वाले देश में, जहाँ यह जटिलता अक्सर कर उपबंधों के अनुपालन में आड़े आती है, "निर्बाध मूल्यांकन और अपील को फेसलेस" बनाने का प्रयास एक स्वागत योग्य कदम है।

आयकर विभाग पर अक्सर बजट कर संग्रह लक्ष्यों को पूरा करने में अति उत्साही होने का आरोप लगाया जाता है। इस वजह से अधिकारियों द्वारा अक्सर अनुचित माँगें करने के मामले सामने आते हैं, जो अंततः जटिल कर विवादों और लम्बी मुकदमेबाज़ी का कारण बनता है। नए सुधारों व पोर्टल से इन दिक्कतों व जटिलताओं से बचा जा सकता है।

  • भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) ने वर्ष 2019 में केंद्र सरकार के राजस्व-प्रत्यक्ष कर विभाग के अनुपालन ऑडिट में उल्लेख किया है कि, "आकलन अधिकारियों (AOs) ने अधिनियम में स्पष्ट प्रावधानों की अनदेखी करते हुए आकलन में त्रुटियाँ की हैं", साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कि "मौजूदा जाँच प्रक्रिया अपारदर्शी है"।
  • यह समस्या काफी गम्भीर है। केंद्रीय बजट 2020-21 के अनुसार, "विवादित राशि" के 8.02 लाख करोड़ रुपए प्रत्यक्ष करों से सम्बन्धित हैं। इनमें से करीब 40% दो साल से अधिक समय से लम्बित पड़े हैं।
  • आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 के अनुसार, अपील के सभी स्तरों पर (अपीलीय न्यायाधिकरण, उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय), कर मामलों में, कर विभाग की सफलता दर 30% से भी कम है।

इस प्रकार, फेसलेस मूल्यांकन और अपील की ओर बढ़ना सही दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है (उल्लेखनीय है कि पूर्व में भी इससे जुड़े कुछ क़दमों को प्रायोगिक तौर पर अमल में लाया गया था)। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि आसान कर प्रणाली करदाताओं की समस्या को उलझाने के बजाए सुलझाने का काम करती है।

करदाता चार्टर का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने बताया कि यह करदाता की गरिमा और संवेदनशीलता बनाए रखने का भी ध्यान रखता है, पूर्व में संवेदनशीलता से जुड़ी बहुत सी बातें सामने आई थीं जब करदाताओं ने अपने साथ हुए खराब व्यवहार की शिकायत की थी।

आगे की राह :

  • करदाताओं के अधिकारों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करने की आवश्यकता है। साथ ही इसे कर विभाग के लिये बाध्यकारी भी कर देना चाहिये।
  • कर चोरी की जाँच करने और कर आधार को और बड़ा करने की क्षमताओं का निर्माण करते हुए कर विभाग के काम करने के तरीके के पुनर्निर्माण की आवश्यकता है।
  • साथ ही अनुचित कर माँगों को कम करने या खत्म करने और मुकदमेबाज़ी पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है।
  • भारत में बहुत कम लोग ही आयकर देते हैं, लोगों को आत्मावलोकन कर आयकर दाखिल करने के लिये आगे आना चाहिये और राष्ट्रनिर्माण में भागीदार बनना चाहिये।


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