‘केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान’ (ICAR) जोधपुर ने 105 किलोवाट क्षमता की कृषि-वोल्टेइक प्रणाली विकसित की है। यह तकनीक कृषि भूमि पर एक-साथ विद्युत और नकदी फसलों का उत्पादन कर किसानों की आय में वृद्धि करने में सहायक हो सकती है।
विदित है कि ‘कुसुम योजना’ (किसान ऊर्जा सुरक्षा उत्थान महाभियान) के घटक-I के अंतर्गत खेतों में 500 किलोवाट से 2 मेगावाट तक की क्षमता वाली कृषि-वोल्टेइक प्रणाली की स्थापना का प्रावधान किया गया है।
फोटोवोल्टेइक विद्युत संयंत्र, फोटोवोल्टेइक निर्मित कोशिकाओं के विशाल क्षेत्रों का उपयोग कर सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करते हैं। ये कोशिकाएँ सिलिकॉन मिश्र धातु से निर्मित होती हैं, इन्हें पी.वी. या सौर कोशिकाओं के रूप में जाना जाता है।
‘नेशनल सोलर एनर्जी फेडरेशन ऑफ इंडिया’ (NSEFI) ने देश में 13 परिचालन कृषि-वोल्टेईक प्रणालियों को विकसित करने के लिये दस्तावेज़ तैयार किया है, जिसका प्रबंधन विभिन्न सौर पी.वी. कार्यकताओं एवं सार्वजनिक संस्थानों द्वारा किया जाएगा।