हाल ही में, डेनमार्क ने हरित ऊर्जा को अपनाने के प्रयासों के तहत उत्तरी सागर में एक कृत्रिम द्वीप बनाने की योजना को मंज़ूरी दी है। लगभग 34 बिलियन अमेरिकी डॉलर की अनुमानित लागत के साथ शुरू की जाने वाली इस परियोजना को डेनमार्क के इतिहास में सबसे बड़ी परियोजना के रूप में देखा जा रहा है।
यह ‘ऊर्जा द्वीप’ एक ऐसे प्लेटफ़ॉर्म पर आधारित है, जो आसपास के ‘अपतटीय पवन फार्म (Offshore Wind Farms) से विद्युत उत्पादन के लिये एक केंद्र के रूप में कार्य करता है। यह परियोजना डेनमार्क तथा उसके पड़ोसी देशों के बीच संपर्क बढ़ाने तथा ऊर्जा वितरण में सहायक होगी। डेनमार्क ने ऊर्जा द्वीप के संयुक्त उपयोग के लिये पहले से ही नीदरलैंड, जर्मनी और बेल्जियम के साथ समझौता किया है।
यह कृत्रिम द्वीप, उत्तरी सागर में डेनमार्क से 80 किमी. की दूरी पर अवस्थित होगा, जिसके अधिकांश क्षेत्र पर डेनमार्क का अधिकार होगा। इस परियोजना का प्राथमिक उद्देश्य बड़े पैमाने पर ‘अपतटीय पवन ऊर्जा’ का उत्पादन कर यूरोपीय संघ में 3 मिलियन से अधिक घरों की विद्युत आवश्यकताओं को पूरा करना तथा पर्याप्त हरित ऊर्जा भंडारण एवं उत्पादन में सक्षम बनाना है।
गौरतलब है कि जून 2020 में, डेनिश संसद ने दो ऊर्जा द्वीपों के निर्माण की पहल का फैसला किया था, जो डेनमार्क तथा पड़ोसी देशों को ऊर्जा का निर्यात करने में मदद करेगा। दूसरा प्रस्तावित द्वीप बाल्टिक सागर में अवस्थित है, जिसे ‘बोर्नहोम द्वीप’ के नाम से जाना जाता है।