विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के स्वायत्त संस्थान ‘जवाहरलाल नेहरू उन्नत वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र’ के वैज्ञानिकों ने वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड को कम करने के लिये प्रकाश संश्लेषण की प्राकृतिक प्रक्रिया का अनुसरण करते हुए ‘कृत्रिम प्रकाश संश्लेषण’ (AP) का विकास किया है।
इससे वातावरण में मौजूद अतिरिक्त कार्बन डाइऑक्साइड को कैप्चर (Capture) व रूपांतरित करके ईंधन में परिवर्तित किया जा सकेगा। ए.पी., सौर ऊर्जा का उपयोग करता है और कैप्चर किये गए कार्बन डाइऑक्साइड को कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) में परिवर्तित करता है, जिसका उपयोग आंतरिक दहन इंजन के लिये ईंधन के रूप में किया जा सकता है। साथ ही, इस प्रक्रिया में पानी से ऑक्सीजन भी उत्पन्न होता है।
ए.पी. में अपेक्षाकृत सरल नैनो-संरचना (Nanostructures) के साथ प्राकृतिक प्रकाश संश्लेषण के समान मौलिक प्रक्रिया का संचालन किया जाता है। इसके लिये प्रकाश-संवेदी (Photosensitizer) को शामिल करते हुए एक एकीकृत उत्प्रेरक प्रणाली का निर्माण किया गया है। यह सौर ऊर्जा और एक उत्प्रेरक केंद्र का उपयोग करता है, जो अंततः CO2 को कम करने में सहायक होता है।
उल्लेखनीय है कि प्रकाश-संवेदी ऐसे अणु हैं, जो प्रकाश को अवशोषित करते हैं और आपतित प्रकाश से इलेक्ट्रॉन को अन्य निकटतम अणुओं में स्थानांतरित कर देते हैं।