पिछले डेढ़ वर्ष से पूरा विश्व कोविड-19 महामारी के प्रकोप से जूझ रहा है। विश्व के विभिन्न देशों में कोरोना वायरस के विभिन्न वेरिएंट्स (Variants) पाए गए हैं, यही कारण है कि वर्ष 2019 से लेकर अब तक विभिन्न देशों पर कोविड-19 के प्रभाव में भिन्नता देखी गई है।
कोविड-19 की पिछली लहर से जहाँ यूरोप एवं अमेरिका सर्वाधिक प्रभावित थे, वहीं वर्तमान लहर से सर्वाधिक प्रभावित देश भारत है। इसकी वजह है, भारत में पाया गया कोरोना वायरस का नया वेरिएंट 'बी.1.617', इसकी वजह से 2 माह से भी कम समय में 1 लाख से अधिक लोगों की मृत्यु हो गई है।
कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान इसके बढ़ते प्रकोप के पीछे कोरोना वायरस के विभिन्न वेरिएंट्स का सामने आना था। दूसरी लहर से सर्वप्रथम यूनाइटेड किंगडम प्रभावित हुआ, वहाँ इसके लिये कोरोनावायरस का 'बी.1.1.7' वेरिएंट उत्तरदायी था। कुछ समय तक इसका प्रभाव भारत में भी देखा गया, किंतु शीघ्र ही इसका स्थान 'बी.1.617' ने लेकर देश भर में कहर बरपा दिया।
वर्तमान में 'बी.1.617' भारत, यू.के. तथा फिजी सहित लगभग 40 देशों में फैल चुका है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि इसकी घातकता का मुख्य कारण अन्य वेरिएंट्स की अपेक्षा इसका अधिक संक्रामक होना है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 'बी.1.617' को 'चिंताजनक वेरिएंट' (variant of concern) के रूप में निर्दिष्ट किया है। किसी भी वायरस को इस रूप में तभी निर्दिष्ट किया जाता है जब इस बात के स्पष्ट साक्ष्य हों कि अमुक वेरिएंट अधिक तीव्रता से फैल रहा है और इससे रोग की घातकता बढ़ गई है।