देश में समानता का आकलन करने के उद्देश्य से आर्थिक समीक्षा 2020-21 में ग्रामीण, शहरी तथा विभिन्न आय-समूहों के परिवार के प्रत्येक सदस्य तक बुनियादी आवश्यकताओं की पहुँच सुनिश्चित करने और इसके महत्त्व को ध्यान में रखते हुए ‘बुनियादी आवश्यकता सूचकांक’ की रूपरेखा तैयार की गई है।
बी.एन.आई. को 5 आयामों- जल, स्वच्छता, आवास, सूक्ष्म पर्यावरण और अन्य मूलभूत सुविधाओं तक पहुँच में हुई प्रगति तथा 26 संकेतकों के मूल्यांकन के आधार पर तैयार किया गया है। यह सूचकांक आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20 में उपयोग किये गए 'थालीनॉमिक्स' के विचार पर ध्यान देता है। 'थालीनॉमिक्स' के माध्यम से देश में भोजन तक पहुँच की जाँच करने की माँग की गई थी।
सूचकांक मूलभूत आवश्यकताओं तक पहुँच के आधार पर विभिन्न क्षेत्रों को उच्च, मध्यम तथा निम्न तीन स्तरों में वर्गीकृत करता है। उच्च स्तर राज्य में बुनियादी आवश्यकताओं की बेहतर पहुँच का संकेत देता है। इसे एन.एस.ओ. से प्राप्त आँकड़ों का उपयोग करते हुए वर्ष 2012 और 2018 हेतु तैयार किया गया है।
विभिन्न योजनाएँ, जैसे- जल जीवन मिशन, स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण, प्रधानमंत्री आवास योजना आदि गरीबी निवारण, पेयजल, स्वच्छता व आवास तक पहुँच में अंतराल को कम कर वर्ष 2030 तक एस.डी.जी. लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये उपयुक्त रणनीति तैयार करने में सहायक हो सकती हैं।
वर्ष 2018 में केरल, पंजाब, हरियाणा तथा गुजरात में आधारभूत आवश्यकताओं तक सर्वाधिक पहुँच थी, जबकि इस संदर्भ में ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल व त्रिपुरा सबसे निचले स्थानों पर रहे।