• भओना असम में प्रचलित मनोरंजन का एक पारंपरिक कला-रूप है, जिसमें धार्मिक संदेशों के प्रसार हेतु पौराणिक कथाओं पर आधारित नाट्य मंचन किया जाता है। यह मुख्य रूप से वैष्णव संप्रदाय से संबंधित है।
• भओना की शुरुआत संत शंकरदेव द्वारा लगभग 500 वर्ष पूर्व की गई थी। इसमें शंकरदेव द्वारा रचित 'अंकिया नाट' का मंचन किया जाता है। इसका मंचन ‘जतरा’ (वैष्णव मठ) तथा 'नामघर' (मंदिर) में होता है। असम का माजुली क्षेत्र भओना का मुख्य केंद्र माना जाता है।
• भओना में विशेष प्रकार की वेशभूषा तथा आभूषणों से सुसज्जित कलाकार नाटक, संवाद, गीत एवं नृत्य प्रस्तुत करते हैं। इसमें पारंपरिक वाद्ययंत्रों; ताल, डोबा, खोल, नगाड़ा और पारंपरिक हथियारों; धनुष एवं तलवार का प्रयोग किया जाता है।
• भओना में असमिया तथा ब्रजबुली भाषाओं का प्रयोग किया जाता है। इसके तीन प्रकार हैं-1. मुखा भओना, 2. बोका भओना 3. बारेसरिया भओना।
• ध्यातव्य है कि अक्तूबर 2019 में अबुधाबी में भओना का मंचन किया गया था। वर्तमान में, असम में चुनाव प्रचार के दौरान स्थानीय लोगों को आकर्षित करने के लिये राजनीतिक दलों द्वारा भओना का मंचन किया जा रहा है।
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