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ब्लू फ्लैग प्रमाणन (Blue Flag Certification)

  • 20th February, 2020

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने ‘पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986’ के तहत तटीय संरक्षण हेतु 13 बीचों को ‘ब्लू फ्लैग प्रमाणन’ के लिये नामित किया है।

ब्लू फ्लैग प्रमाणन हेतु नामित बीचों में निम्नलिखित शामिल हैं :

  • शिवराजपुर (गुजरात), भोगवे (महाराष्ट्र), घोगला (दीव), मीरामार (गोवा), कासरकोड और पदुबिद्री (कर्नाटक), कप्पड़ (केरल), ईडन (पुदुचेरी), कोवलम (तमिलनाडु), रुशीकोन्डा (आंध्र प्रदेश), गोल्डन (ओडिशा), राधानगर (अंडमान एवं निकोबार), और बंगाराम बीच (लक्षद्वीप)।
  • इन 13 बीचों के ‘तटीय विनियमन क्षेत्र’ में स्वीकृत विकासात्मक गतिविधियों में निम्नलिखित शामिल हैं:
  • जैसे- पोर्टेबल टॉयलेट स्थापित करना, सोलर पावर प्लांट, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्र की स्थापना, शुद्ध पेयजल सुविधा तथा ऐसी ही कुछ अन्य गतिविधियाँ।
  • ‘ब्लू फ्लैग सर्टिफिकेशन’ कार्यक्रम की शुरुआत वर्ष 1985 में फ्रांस में हुई थी, जबकि यूरोप से बाहर इसका प्रसार वर्ष 2001 से प्रारम्भ हुआ। भारत वर्ष 2017 में इसका सदस्य बना है।
  • ‘उच्च ज्वार रेखा’ (High Tide Line-HTL) से स्थल की ओर 10 मीटर तक का क्षेत्र अभी भी ‘विकासात्मक गतिविधियों हेतु प्रतिबंधित क्षेत्र’ ही रहेगा।
  • ब्लू फ्लैग प्रमाणन हेतु नामित इन बीचों को तटीय विनियमन क्षेत्र (CRZ), द्वीप तटीय विनियमन क्षेत्र (ICRZ) तथा द्वीप संरक्षण क्षेत्र (IPZ) के विनियमन से छूट प्रदान की गई है।
  • भारत में इन बीचों के विकास की ज़िम्मेदारी ‘एकीकृत तटीय प्रबंधन सोसायटी (SICOM)’ (तटीय प्रबंधन को समर्पित पर्यावरण मंत्रालय का निकाय) को सौंपी गई है। इसके लिये राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को वित्तीय सहायता केंद्र सरकार तथा विश्व बैंक द्वारा संयुक्त रूप से संचालित ‘एकीकृत तटीय प्रबंधन कार्यक्रम (ICMP)’ के तहत प्रदान की जाती है।
  • ‘ब्लू फ्लैग सर्टिफिकेट’ एक अंतर्राष्ट्रीय गैर-लाभकारी व गैर-सरकारी संगठन ‘फाउंडेशन फॉर एनवायरमेंटल एजुकेशन (Foundation for Environmental Education-FEE) द्वारा प्रदान किया जाता है। इसके द्वारा प्रदत्त प्रमाण-पत्र की मान्यता 1 वर्ष होती है। एफ.ई.ई. की स्थापना वर्ष 1981 में नीदरलैंड में हुई थी, इसका मुख्यालय डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन में है।
  • इसका उद्देश्य तटीय क्षेत्रों के सतत् विकास हेतु अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप ‘तटीय पर्यटन’ को बढ़ावा देना आदि है। जून 2019 में भारत का ‘चंद्रभागा बीच’ (ओडिशा) ‘ब्लू फ्लैग सर्टिफिकेट प्राप्त करने वाला एशिया का पहला व एकमात्र बीच बन गया। उल्लेखनीय है कि ‘ब्लू फ्लैग सर्टिफिकेट’ प्राप्त सर्वाधिक बीच स्पेन में (566) हैं।
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