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प्रवासी वन्यजीव प्रजातियों के संरक्षण हेतु अभिसमय (CMS)

  • 17th February, 2020

प्रवासी वन्यजीव प्रजातियों के संरक्षण हेतु पक्षकारों के 13वें सम्मेलन (COP-13) का आयोजन 15 से 22 फरवरी, 2020 तक गांधीनगर (गुजरात) में किया जा रहा है। एशियाई हाथी (Elephas Maximus) तथा ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (Ardeotis nigriceps) को इस सम्मलेन में वैश्विक सरंक्षण सूची में शामिल किया जाएगा। ग्रेट इंडियन बस्टर्ड को इस सम्मलेन का शुभंकर बनाया गया है तथा इसे “गिबी” नाम दिया गया है। भारत अगले तीन वर्ष के लिए COP का अध्यक्ष मनोनीत हुआ है।

  • विषय- ‘प्रवासी प्रजातियाँ ग्रह को जोड़ती हैं तथा हम सब मिलकर उनका घर में स्वागत करते हैं’ (Theme-Migratory species connect the planet and together we welcome them home.)
  • CMS के प्रमुख उद्देश्यों में प्रवासी वन्य-जीवों के आवासों का संरक्षण तथा उन्हें स्थायित्व देने के लिये वैश्विक मंच प्रदान करना, संरक्षण उपायों के लिए कानूनी आधार प्रदान करना तथा उन सभी पक्षकार देशों को साथ लाना शामिल है जिनसे होकर प्रवासी वन्यजीव गुजरते हैं।
  • इसके परिशिष्ट-I में वे प्रजातियाँ शामिल की गयी हैं जो संकटग्रस्त (Endangered) हैं, तथा परिशिष्ट-II में वे प्रजातियाँ शामिल हैं जिनके संरक्षण हेतु अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता है।
  • CMS - 1979 में यू.एन.ई.पी. (UNEP) के तत्त्वाधान में बॉन (जर्मनी) में CMS पर हस्ताक्षर होने के कारण इसे ‘बॉन अभिसमय’ भी कहते हैं। ये अभिसमय 1983 से लागू हुआ तथा भारत तब से ही इसका पक्षकार है। वर्तमान में यूरोपीय यूनियन सहित इसके 130 पक्षकार हैं, मालदीव इस अभिसमय का नवीनतम पक्षकार है। अमूर फाल्कन (अमूर बाज़), साइबेरियन सारस और फ्लेमिंगो आदि प्रमुख प्रवासी पक्षी हैं। विश्व प्रवासी पक्षी दिवस प्रत्येक वर्ष मई और अक्टूबर माह के दूसरे शनिवार को मनाया जाता है।
  • ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (गोडावण): यह मुख्यतः राजस्थान में पाया जाता है तथा वहां का राज्य-पक्षी है। इसके आलावा यह गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक एवं सीमावर्ती पकिस्तान के अर्ध-शुष्क घास के मैदानों में भी पाया जाता है। उड़ने वाले पक्षियों में यह सबसे वजनी पक्षी है। इसे सोनचिड़िया, हुकना, गुरायिन आदि नामों से भी जाना जाता है। आई.यू.सी.एन. की रेड-लिस्ट में यह “अति संकटग्रस्त (critically endangered) श्रेणी में तथा भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम-1972 की अनुसूची-1 में रखा गया है।
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