गवि गंगाधरेश्वर अथवा 'गविपुरम गुफा मंदिर' कर्नाटक के बेंगलुरु में स्थित है। इसका निर्माण 16वीं शताब्दी में केम्पे गोवडा द्वारा करवाया गया था, जो बेंगलुरु के संस्थापक भी थे। इसे दक्षिण का काशी भी कहा जाता है।
गविपुरम की प्राकृतिक गुफा में बना यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित और अखंड स्तंभों से बना हुआ है। शिव के अलावा यहाँ गणेश, सप्त माता, दो सिर वाले अग्निमूर्ति तथा नाग देवता की प्रतिमाएँ भी स्थापित हैं। इसकी कलात्मकता का उल्लेख वर्ष 1792 में ब्रिटिश चित्रकार जेम्स हंटर के चित्रों में भी मिलता है।
मंदिर परिसर में लगे ग्रेनाइट के दो स्तंभ आकर्षण का मुख्य केंद्र है, जिन्हें सूरज और चंद्रमा का प्रतीक माना जाता है। इसके अतिरिक्त, यह मंदिर अखंड स्तंभ, डमरू, त्रिशूल तथा विशालकाय आँगन के लिये भी प्रसिद्ध है। यह भारतीय शैलकर्तित (Rock-Cut) स्थापत्य कला का उत्कृष्ट नमूना है।
यह मंदिर प्रांगण में स्थापित रहस्यमयी स्टोन डिस्क के लिये भी प्रसिद्ध है। इसे कुछ इस तरह से बनाया गया है कि सूर्य का प्रकाश सीधे मंदिर में स्थापित शिवलिंग पर ही पड़े। मकर संक्रांति के अवसर पर शाम में यहाँ एक अद्वितीय घटना के दर्शन होते हैं जिसमे सूर्यप्रकाश नंदी के दोनों सींगो के बीच से सीधे गुफा के अंदर स्थापित शिवलिंग पर पड़ता है और संपूर्ण मूर्ति को अद्भुत रोशनी से प्रकाशित कर देता है।
मकर सक्रांति के अवसर पर श्रद्धालु यहाँ एकत्रित होते हैं। इस वर्ष बादलों के कारण सूर्य का प्रकाश गुफा में स्थापित शिवलिंग तक नहीं पहुँच सका। विगत 50 वर्षों में ऐसा पहली बार हुआ है।