हाल ही में, अमेरिकी इंस्टीट्यूट ऑफ इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर्स (IEEE) ने माइलस्टोन कार्यक्रम के तहत वृहत् मीटरवेव रेडियो टेलीस्कोप (GMRT) को प्रतिष्ठित माइलस्टोन फेसिलिटी के रूप में चिन्हित किया है। आई.ई.ई.ई. इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग से सम्बंधित सभी क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी को आगे बढ़ाने के लिये समर्पित तकनीकी पेशेवरों का दुनिया का सबसे बड़ा संगठन है।
जी.एम.आर.टी. पुणे के समीप स्थित 45-मीटर व्यास के परवलयाकर रेडियो दूरबीनों की एक श्रृंखला है, जो मीटर तरंग दैर्ध्य (Metre Wavelength) का अवलोकन करती है। यह पूर्णतः स्वदेश निर्मित है। इसका संचालन राष्ट्रीय खगोल भौतिकी केंद्र करता है, जो टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, मुम्बई का एक भाग है।
जी.एम.आर.टी. एक बहुमुखी उपकरण है जो सौरमंडल से लेकर अवलोकनीय ब्रह्मांड तक की विभिन्न रेडियो एस्ट्रोफिजिकल समस्याओं की जाँच करने में सक्षम है। इसका उपयोग कई खगोलीय पिंडों जैसे- एच.आई.आई. क्षेत्रों, आकाशगंगाओं, पल्सर, सुपरनोवा, सूर्य तथा सौर हवाओं का अध्ययन करने के लिये किया गया है।
आई.ई.ई.ई. द्वारा अब तक वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग योगदान के लिये विश्वभर के 212 तकनीकों व अध्ययनों को माइलस्टोन फेसिलिटी के रूप में चिन्हित किया गया है। इसके तहत शामिल यह भारत का अब तक का तीसरा प्रोजेक्ट है, इससे पूर्व ‘रेडियो तरंग’ (सर जे.सी. बोस) तथा 'प्रकाश का प्रकीर्णन’ (सी.वी. रमन) को यह दर्जा प्रदान किया गया है।