• ग्लासगो में चल रहे संयुक्त राष्ट्र कोप-26 जलवायु सम्मेलन में वैश्विक मीथेन संकल्प का शुभारंभ किया गया, जिस पर 90 से अधिक देशों ने हस्ताक्षर किये हैं। यह संयुक्त राज्य अमेरिका एवं यूरोपीय संघ के संयुक्त नेतृत्व में किया गया एक प्रयास है, जिसकी घोषणा पहली बार सितंबर माह में की गई थी।
• इसका मुख्य उद्देश्य वर्ष 2030 तक मीथेन उत्सर्जन को वर्ष 2020 के स्तर से 30% तक कम करना है। कार्बन डाइ ऑक्साइड के बाद मीथेन वातावरण में सर्वाधिक मात्रा में पाई जाने वाली दूसरी ग्रीनहाउस गैस है, इसलिये इसके उत्सर्जन में कटौती से संबंधित संकल्प महत्त्वपूर्ण हैं।
• जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल (IPCC) की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व-औद्योगिक युग के बाद से वैश्विक औसत तापमान में हुई 1.0 डिग्री सेल्सियस की शुद्ध वृद्धि के लगभग आधे भाग के लिये मीथेन उत्तरदायी है।
• मीथेन उत्सर्जन को तेज़ी से कम करना कार्बन डाइ ऑक्साइड तथा अन्य ग्रीनहाउस गैसों के लिये पूरक कार्यवाही है। इसे निकट भविष्य में वैश्विक तापन को कम करने तथा 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लक्ष्य को बनाए रखने के लिये सबसे प्रभावी रणनीति के रूप में जाना जाता है।
• मीथेन के मानवीय स्रोतों में लैंडफिल, तेल एवं प्राकृतिक गैस प्रणाली, कृषि गतिविधियाँ, कोयला खनन, अपशिष्ट जल उपचार और कुछ औद्योगिक प्रक्रियाएँ शामिल हैं।
Our support team will be happy to assist you!
call us