बजट 2021-22 में ‘हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन’ की घोषणा की गई है, जो देश में ऊर्जा क्षेत्र प्रबंधन, कार्बन उत्सर्जन को कम करने, जलवायु परिवर्तन के खतरों से निपटने के साथ-साथ आर्थिक दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण है। विदित है कि वर्तमान में देश में अधिकांश ऊर्जा उत्पादन तापीय ऊर्जा संयंत्रों के माध्यम से होता है।
हाइड्रोजन, स्वच्छ एवं प्रदूषणरहित ईंधन का विकल्प है, जिसके उपोत्पाद के रूप में केवल जल ही प्राप्त होता है। इसकी उच्च प्रज्ज्वलन क्षमता के कारण इसका उपयोग रॉकेट ईंधन के रूप में किया जाता है। हाइड्रोजन का उत्पादन तथा भंडारण अत्यधिक खर्चीला तथा कठिन है। तीव्र ज्वलनशील गैस होने के कारण इसे विस्फोटक की श्रेणी में रखा जा सकता है, परंतु नियंत्रित परिवेश में इसकी तीव्र ज्वलनशील क्षमता का उपयोग हरित ऊर्जा के रूप में किया जा सकता है।
हरित हाइड्रोजन मिशन, इस्पात और सीमेंट जैसे भारी उद्योगों को डी-कार्बनाइज़ करने के लिये आवश्यक है। हाइड्रोजन उत्पादन के सबसे प्रमुख प्रकारों में प्राकृतिक गैस शोधन और इलेक्ट्रोलिसिस (किसी रासायनिक यौगिक में विद्युत-धारा प्रवाहित कर उसके रासायनिक बंधों को तोड़ने की प्रक्रिया) के साथ सौर चालित एवं अन्य जैविक प्रक्रियाएँ शामिल हैं।
भारत की हरित ऊर्जा आधारित हाइड्रोजन संयंत्र लगाने की यह पहल जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करने में सहायक होगी। ये संयंत्र ‘ग्रिड स्केल स्टोरेज’ समाधान करने के साथ अमोनिया उत्पादन के लिये फीडस्टॉक का भी काम करेंगे। मिशन का उद्देश्य हाइड्रोजन ऊर्जा का उपयोग कर हरित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना है।