राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) ने गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान और तमोर पिंगला वन्यजीव अभयारण्य के संयुक्त क्षेत्रों को बाघ अभयारण्य घोषित करने संबंधी छत्तीसगढ़ सरकार के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी है। उदंती-सीतानदी, अचानकमार और इंद्रावती अभयारण्य के बाद यह छत्तीसगढ़ का चौथा बाघ अभयारण्य होगा।
यह बाघ अभयारण्य मध्य प्रदेश तथा झारखंड की सीमा से संलग्न राज्य के उत्तरी भाग में स्थित है। गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान कोरिया ज़िले तथा तमोर पिंगला सूरजपुर ज़िले में अवस्थित है।
गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान देश में एशियाई चीतों का अंतिम ज्ञात निवास स्थल था। यह मूल रूप से संजय दुबरी राष्ट्रीय उद्यान का भाग है। इस पार्क को वर्ष 2001 में छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के पश्चात सरगुजा क्षेत्र में एक पृथक इकाई के रूप में बनाया गया था।
इस उद्यान को बाघ अभयारण्य के रूप में परिवर्तित किया जाना महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि यह उद्यान झारखंड एवं मध्य प्रदेश को जोड़ता है और बाघों को बांधवगढ़ तथा पलामू बाघ अभयारण्य के मध्य पारगमन के लिये एक गलियारा प्रदान करता है।
इसे वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 38V(1) के तहत मंज़ूरी दी गई है। इस धारा के अनुसार, राज्य सरकार ‘बाघ संरक्षण योजना के तहत बाघ संरक्षण प्राधिकरण की सिफारिश पर, किसी क्षेत्र को बाघ अभयारण्य के रूप में अधिसूचित करती है।