• हाल ही में, आंध्र प्रदेश के कुडप्पा जिले के एक सुदूर गाँव में रेनाती चोल युग के एक दुर्लभ शिलालेख का पता चला है। 25 पंक्तियों वाले इस शिलालेख को पुरातन तेलुगु भाषा में लिखा गया है। इसे 8वीं शताब्दी ई.पू. का माना जा रहा है, जब यह क्षेत्र रेनाडू के चोल राजा के शासन में था।
• रेनाडू के तेलुगु चोलों (या रेनाती चोल) ने वर्तमान कुडप्पा जिले के रेनाडू क्षेत्र पर शासन किया था। कालांतर में वे पूर्वी चालुक्यों के अधीन राज करने पर विवश हुए। रेनाती चोल वंश में सबसे पहला नाम नंदिवर्मन (500 ईस्वी) का मिलता है, जो खुद को करिकेल कुल व कश्यप गोत्र का मानता था। रेनाती चोलों को शासन कार्य व शिलालेखों में संस्कृत की बजाय तेलुगु का प्रयोग करने वाला पहला राज्य माना जाता है।
• यह शिलालेख एक डोलोमाइट स्लैब और शेल पर उत्कीर्णित है, जो खेत से प्राप्त एक खंडहर के स्तम्भ का हिस्सा है। डोलोमाइट एक तलछटी कार्बोनेट चट्टान है, जो कैल्शियम-मैग्नीशियम कार्बोनेट से बनी होती है। शेल या मडस्टोन, महीन दाने वाली अवसादी चट्टान है, जो महीन खनिज कणों और गाद के संघनन (Compaction) से बनती है।
• शिलालेख में पिडूकुला गाँव के सिद्यामायु नामक ब्राह्मण पुजारी को छह मार्तुस/मार्टटस (Marttus-भूमि मापन की एक इकाई) भूमि, उपहार में दिये जाने का वर्णन है।
• ध्यातव्य है कि इसी वर्ष जुलाई में भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण ने 7वीं शताब्दी से सम्बंधित रेनाती चोलों के ही दो अन्य शिलालेखों का अध्ययन किया था, जिनमें पहले शिलालेख से कुडप्पा के कमलापुरम क्षेत्र में चोलों की राजधानी 'एरिकल' का पता चला, जबकि दूसरे से रेनाती चोलों और बनास की लड़ाई के बारे में जानकारी मिली थी।
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