हाल ही में, ‘कलिंग क्रिकेट मेंढक’ से सम्बंधित शोध ‘जूटाक्सा’ (Zootaxa) नामक अंतर्राष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित हुआ। इसकी खोज वर्ष 2018 में भारतीय प्राणी-विज्ञान सर्वेक्षण (ZSI), कर्नाटक विश्वविद्यालय व अन्य अन्वेषकों के संयुक्त दल ने पूर्वी घाट में की थी
‘कलिंग क्रिकेट मेंढक’ भारत के इतिहास में खोजी गई अब तक की ऐसी प्रथम उभयचर प्रजाति (Amphibian Species) है, जो ‘मोर्फोलॉजिकल फिनोटाइपिक प्लास्टिसिटी’ (Morphological Phenotypic Plasticity-MPP) का गुण प्रदर्शित करती है।
वस्तुतः एम.पी.पी. किसी जीव की ऐसी क्षमता होती है, जिसके तहत वह ‘बदलती हुई प्राकृतिक दशाओं के अनुरूप स्वयं की भौतिक संरचना में परिवर्तन’ कर लेता है। पूर्वी घाट की यह प्रजाति फेजरवार्या/माइनरवार्या (Fejervarya/Minervarya) वंश से सम्बद्ध है, जो पश्चिमी घाट में पाई जाने वाली अपने ही परिवार की प्रजाति से पूर्णतः भिन्न है।
यह एक अर्द्ध-जलीय (Semi-Aquatic) मेंढक प्रजाति है, जो मानसून के दौरान प्रजनन हेतु सक्रिय होती है। माना जा रहा है कि ‘कलिंग मेंढक’ की यह प्रजाति, पूर्वी घाट की स्थानिक प्रजाति (Endemic Species) है।
ध्यातव्य है कि यह मेंढक प्रजाति पूर्वी घाट के पहाड़ी क्षेत्रों में कुछ ऊँचाई पर, कृषि मैदानों में, जलधाराओं के निकट, दलदली क्षेत्रों में पाई जाती है। पूर्वी घाट का भौगोलिक विस्तार पाँच भारतीय राज्यों– ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक व तमिलनाडु में है।