तथ्यों का विधिक विवरण कानून की दृष्टि से एक वैध दस्तावेज़ है। यह तथ्यों के उपयोग के आधार पर किसी कथन का समर्थन करने के लिये विशेष स्थिति पर अपना ध्यान केंद्रित करता है।
यह दस्तावेज़ किसी मामले के संबंध में आवश्यक समस्त तथ्यों की संक्षिप्त और तार्किक रूपरेखा तैयार कर न्यायालय को उपलब्ध कराता है। इसका उद्देश्य न्यायाधीश के समक्ष पक्षकार की स्थिति मज़बूत करने के लिये उसे विशेष मामले से परिचित कराना है।
इसके अंतर्गत संबद्ध विवरण में दिनांक, मामले से संबंधित विषय, भौतिक तथ्य, तथ्यों का समर्थन करने के लिये साक्ष्य, मामले में शामिल लोगों के नाम तथा हस्ताक्षर (यदि संभव हो तो) आदि को एकत्रित किया जाता है।
तथ्यों का यह विवरण न्यायालय में पक्षकार की सहायता करने के लिये प्रेरक के रूप में कार्य करता है। इसलिए यह महत्त्वपूर्ण है कि यह दस्तावेज़ स्पष्ट, बिंदु संगत, संक्षिप्त तथा समझने में आसान होना चाहिये और इसमें शामिल घटनाओं का निश्चल और वास्तविक लेखा-जोखा होना चाहिये।