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लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग तकनीक : लिडार (Light Detection and Ranging Technique : LiDAR)

  • 8th December, 2020
  • लिडार एक 'सुदूर सम्वेदी तकनीक' है, जिसमें पल्स लेज़र के रूप में प्रकाश का उपयोग करके विमान में सुसज्जित लेज़र उपकरणों के माध्यम से किसी क्षेत्र का सर्वेक्षण किया जाता है। लिडार उपकरणों में लेज़र, स्कैनर और एक जी.पी.एस. रिसीवर होता है। यह तकनीक लघु तरंगदैर्ध्य के माध्यम से सूक्ष्म वस्तुओं या स्थान का त्रि-आयामी (3 D) मानचित्र तैयार करने में सक्षम है।
  • इस तकनीक के माध्यम से विस्तृत क्षेत्र के आँकड़े प्राप्त करने के लिये पृथ्वी की सतह पर लेज़र प्रकाश डाला जाता है और प्रकाश के वापस लौटने के समय की गणना से वस्तु की दूरी का पता लगाया जाता है। इसे ‘लेज़र स्कैनिंग’ या ‘3 डी स्कैनिंग’ भी कहा जाता है। विदित है कि रडार और सोनार तकनीक में क्रमशः रेडियो व ध्वनि तरंगों का उपयोग किया जाता है।
  • इसका प्रयोग मानव निर्मित वातावरण (टेक्नोस्फीयर) के सर्वेक्षण, निर्माण परियोजनाओं को तेज़ी से ट्रैक करने तथा पर्यावरणीय अनुप्रयोगों आदि में किया जाता है। स्वायत्त वाहनों को नौवहन सुविधा प्रदान करने के लिये कम रेंज के लिडार स्कैनर का उपयोग भी किया जा रहा है।
  • नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा प्रस्तावित दिल्ली-वाराणसी हाई स्पीड रेल कॉरिडोर पर विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने में लिडार तकनीक का उपयोग किया जाएगा। इस तकनीक का नकारात्मक पहलू यह है कि घरों में निजी गतिविधियों को देखने के लिये घरेलू अनुप्रयोग के उपकरणों में भी इसका उपयोग किया जा सकता है, जिससे निजता का हनन होगा।
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