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लाइसोसोमल भंडारण विकार (Lysosomal Storage Disorders)

  • 13th February, 2020

लाइसोसोमल भंडारण विकार उपापचय (Metabolic) सम्बंधी आनुवंशिक बीमारियों का समूह है।

  • यह विकार एंज़ाइम की कमी के कारण शरीर की कोशिकाओं में विभिन्न विषाक्त पदार्थों के असामान्य निर्माण से होता है।
  • यह लगभग 50 विकारों का समूह है। इससे प्रभावित अंगों में कंकाल, मस्तिष्क, त्वचा, हृदय और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र आदि शामिल हैं।
  • इसके प्रत्येक मामले के लक्षण किसी-न-किसी एंज़ाइम की कमी के कारण उत्पन्न होते हैं। लाइसोसोम कोशिकाओं के भीतर प्राथमिक पाचन इकाइयों के रूप में कार्य करते हैं।
  • लाइसोसोम एक कोशिकांग है, जिसमें पाचन एंज़ाइम होते हैं। ये मृत कोशिकओं को ‘अपॉप्टोसिस’ (Apoptosis) नामक प्रक्रिया से उनके स्वभक्षण (Autophagy) में मदद करते हैं।
  • स्वभक्षण के गुण के चलते इसे ‘आत्महत्या की थैली’ (Suicidal Bag) भी कहा जाता है। स्वभक्षण की क्रियाविधि की खोज़ के लिये योशिनोरी ओहसुमी को वर्ष 2016 में चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।
  • लाइसोसोम जटिल कोशिकीय घटकों, जैसे प्रोटीन को सरल घटकों में तोड़ते हैं। जब यह प्रक्रिया नहीं होती है तो घटक कोशिकाओं में जमा होने लगता है, इसीलिये इन रोगों को ‘भंडारण विकार’ (Storage disorder) कहा जाता है।
  • लाइसोसोमल भंडारण विकार के कुछ प्रमुख प्रकार:
  1.  बैटन रोग (Batten Disease): यह विकसित होते मस्तिष्क सम्बंधी विकारों का एक समूह है।
  2. सिस्टिनोसिस (Cystinosis): इस विकार के शुरुआती लक्षण प्रायः किडनी और आँखों पर देखे जाते हैं।
  3. फेब्री रोग (Fabry Disease): इसके लक्षण सामान्यतः बचपन या किशोरावस्था के दौरान शुरू होते हैं; इसके शुरुआती लक्षणों में हाथों और पैरों में गम्भीर जलन का होना शामिल है।
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