‘सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना’ (MPLADS) पहली बार वर्ष 1993 में नरसिम्हा राव सरकार के दौरान शुरू किया गया एक कार्यक्रम है। इसका उद्देश्य सांसदों द्वारा व्यक्तिगत रूप से अनुशंसित विकासात्मक कार्यों के लिये धन उपलब्ध कराना था।
वर्ष 1994-95 से 1997-98 के बीच प्रत्येक संसद सदस्य सालाना 1 करोड़ रुपए के कार्यों की सिफारिश कर सकते थे, जिसे बाद में बढ़ाकर 2 करोड़ रुपए वार्षिक कर दिया गया। वर्ष 2011-12 में सांसद निधि को बढ़ाकर प्रति सांसद 5 करोड़ रुपए वार्षिक कर दिया गया है।
किसी क्षेत्र में विकास योजनाओं को लागू करने के लिये सांसदों को उसे पहले सम्बंधित ज़िला प्राधिकरण के पास भेजना होता है, जो परियोजनाओं के निष्पादन हेतु कार्यान्वयन एजेंसियों की पहचान करते हैं। MPLADS फंड को अन्य योजनाओं, जैसे- ‘मनरेगा’ और ‘खेलो इंडिया’ के साथ विलय किया जा सकता है।
'MPLADS पर दिशा-निर्देश' जून 2016 में ‘सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय’ द्वारा प्रकाशित किया गया। इसके तहत सांसदों द्वारा एक वर्ष में कुल खर्च (अनुशंसित कार्यों) में से कम-से-कम 15% अनुसूचित जाति की आबादी वाले क्षेत्रों के लिये और 7.5% अनुसूचित जनजाति वाले क्षेत्रों के लिये खर्च करने की सिफारिश की गई है।
इसके अंतर्गत राष्ट्रीय प्राथमिकताओं वाली टिकाऊ सम्पत्तियों, जैसे- पेयजल, प्राथमिक शिक्षा, सार्वजनिक स्वास्थ्य, स्वच्छता और सड़कों आदि का निर्माण किया जाना चाहिये। हाल ही में, वेतन-कटौती के कदम का समर्थन करते हुए अधिकांश संसद सदस्यों ने निर्वाचन क्षेत्रों में विकास कार्यों के लिये MPLADS धनराशि को तत्काल जारी करने की माँग की है।