हाल ही में, राष्ट्रीय बाँस मिशन के अंतर्गत, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा 22-बाँस क्लस्टर्स के उद्घाटन के साथ इस मिशन का लोगो लॉन्च किया गया है।
यह मिशन वर्ष 2006-07 में लॉन्च किया गया था, किंतु वर्ष 2018 में ‘पुनर्संरचित राष्ट्रीय बाँस मिशन’ प्रस्तुत किया गया। इसके प्रमुख उद्देश्य, गैर-वन भूमि (निजी व सरकारी) पर बाँस क्षेत्र का विस्तार करना, बाँस क्षेत्र से जुड़े लोगों का कौशल विकास करना, बाँस उद्योग की आपूर्ति श्रृंखला को सुदृढ़ करना, किसानों की आय में वृद्धि करना इत्यादि हैं।
वर्तमान में ‘सतत् कृषि के लिये राष्ट्रीय मिशन’ (NMSA) के अंतर्गत संचालित किया जाने वाला यह मिशन ‘कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग’ द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि आठों उत्तर-पूर्वी राज्यों सहित देश के 20 से अधिक राज्यों में संचालित किया जा रहा यह मिशन एक ‘केंद्रीय प्रायोजित योजना’ है। इसके अंतर्गत वित्तपोषण का अनुपात इस प्रकार है–
पूर्वोत्तर व पहाड़ी राज्यों के लिये – 90:10 (क्रमशः केंद्र व राज्य)
शेष राज्यों के लिये – 60:40 (क्रमशः केंद्र व राज्य)
ध्यातव्य है कि बाँस को ‘हरा सोना’ कहा जाता है। वर्ष 2017 में ‘भारतीय वन अधिनियम, 1927’ में संशोधन के माध्यम से ‘बाँस’ को वृक्षों की सूची से बाहर कर दिया गया, अब इसकी कटाई गैर-कानूनी नहीं है।