‘उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग’ (NTD) उष्णकटिबंधीय संक्रामक रोगों का एक विविध समूह है, जो सामान्यतः अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका जैसे विकासशील क्षेत्रों की कम आय वाली आबादी में पाए जाते हैं।
ये कई प्रकार के रोगजनकों, जैसे- वायरस, बैक्टीरिया, प्रोटोजोआ और परजीवियों (हेल्मिंथ्स) द्वारा संचरित होते हैं। इन रोगों में डेंगू, रेबीज़, ब्लाइंड ट्रेकोमा, बुरुली अल्सर, एंडीमिक ट्रेपोनमेटोस (Yaws), कुष्ठ रोग (हैंसेन रोग) आदि प्रमुख हैं। वैश्विक रूप से प्रत्येक 5 में से 1 व्यक्ति एन.टी.डी. रोग से प्रभावित है।
ध्यातव्य है कि अन्य संक्रामक रोगों जैसे एड्स, तपेदिक और मलेरिया के लिये उपचार व नैदानिक सुविधाएँ व्यापक रूप से उपलब्ध हैं, जबकि उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग से ग्रसित रोगियों की संख्या अधिक होने के बावजूद इनसे जुड़ी आवश्यक सुविधाओं का अभाव है।
रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (CDC) के अनुसार आवश्यक एवं प्रभावी नैदानिक उपायों के माध्यम से 6 प्रमुख एन.टी.डी. रोगों- गिनीकृमि (Dracunculiasis), लसीका फाइलेरिया, ओंकोकोर्सियासिस (Onchocerciasis), शिस्टोसोमियासिस (Schistosomiasis), मृदा संक्रमित हेल्मिंथ्स (एस्केरिस, हुकवर्म और व्हिपवर्म) तथा ट्रेकोमा को नियंत्रित या पूर्णतः समाप्त किया जा सकता है।
विदित है कि 30 जनवरी, 2021 को द्वितीय वार्षिक ‘विश्व उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग दिवस’ मनाया जाएगा, जो ऐसे रोगों को समाप्त करने के लिये वैश्विक समुदाय की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।