आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने देश में कुपोषण की समस्या को दूर करने के लिये 'प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण' योजना को मंजूरी प्रदान की है। पहले इसका नाम ‘विद्यालयों में मध्याह्न भोजन के लिये राष्ट्रीय योजना’ था, जिसे मध्याह्न भोजन योजना के नाम से जाना जाता था।
यह एक केंद्र-प्रायोजित योजना है। इस योजना को सरकारी एवं सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों में कक्षा 1 से 8 तक के सभी 11.80 करोड़ छात्रों के अलावा पूर्व-प्राथमिक अथवा बाल वाटिकाओं के छात्रों तक विस्तारित करने का प्रस्ताव किया गया है। इस योजना के कार्यान्वयन के लिये किसान उत्पादक संगठनों तथा महिला स्वयं सहायता समूहों की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाएगा।
इस योजना को वित्तीय वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक पाँच वर्ष की अवधि तक जारी रखने के लिये लगभग 1.3 लाख करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया गया है। केंद्र सरकार खाद्यान्न पर लगभग 45,000 करोड़ रुपए की अतिरिक्त लागत भी वहन करेगी।
इसके तहत ‘आकांक्षी एवं आदिवासी ज़िलों’ तथा रक्ताल्पता के उच्च प्रसार वाले ज़िलों में पूरक पोषण प्रदान किया जाएगा। साथ ही, ‘वोकल फॉर लोकल’ के अनुरूप जातीय व्यंजनों और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिये सभी स्तरों पर पाक कला प्रतियोगिताओं को प्रोत्साहित किया जाएगा।