हाल ही में, मुंबई में स्थित रक्षा अनुसंधान विकास संगठन की यंग साइंटिस्ट लेबोरेटरी फॉर क्वांटम टेक्नोलॉजीज़ (DYSL-QT) ने एक ‘क्वांटम रैंडम नंबर जेनरेटर’ (QRNG) विकसित किया है, जो यादृच्छिक क्वांटम घटनाओं का पता लगाकर उन्हें बाइनरी अंकों के अनुक्रम में परिवर्तित करने में सक्षम है। अभी तक इस संदर्भ में उपयोग की जा रही ज्ञात पद्धतियों से सटीक यादृच्छिकता को प्राप्त करना सामन्यतः असंभव है।
यह जेनरेटर, फाइबर ऑप्टिक्स के 'फोटॉन -बीम स्प्लिटर टकराव' क्रियाविधि पर कार्य करता है। फोटॉन द्वारा चुना गया पथ यादृच्छिक (Random) होता है तथा यादृच्छिकता को बाइनरी अंकों में अनुक्रमित किया जाता है, जिसे 'बिट्स' भी कहा जाता है।
क्वांटम यांत्रिकी में वास्तविक यादृच्छिक संख्याएँ प्रदान करने की अंतर्निहित क्षमता होती है। इस कारण इसे यादृच्छिकता की आवश्यकता वाले वैज्ञानिक अनुप्रयोगों के लिये महत्त्वपूर्ण विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। इस विकास के बाद भारत उन देशों में शामिल हो गया है, जिनके पास क्वांटम घटना के आधार पर यादृच्छिक संख्या की पीढ़ी को प्राप्त करने की तकनीक है।
विदित है कि क्वांटम संचार, क्रिप्टोग्राफी एप्लिकेशन, प्रमाणीकरण, वैज्ञानिक सिमुलेशन, लॉटरी और मौलिक भौतिकी प्रयोग में यादृच्छिक संख्याओं की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।
DYSL-QT डी.आर.डी.ओ. की पाँच यंग साइंटिस्ट लेबोरेटरीज़ में से एक है, जो पाँच अलग-अलग तकनीकों पर काम कर रही हैं। डी.आर.डी.ओ. की 4 अन्य यंग लेबोरेटरीज़- अर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (DYSL-AI) बेंगलुरु, कॉग्निटिव टेक्नोलॉजी (DYSL-CT) चेन्नई, असममित टेक्नोलॉजी (DYSL-AT) कोलकाता, स्मार्ट मटीरियल्स (DYSL-SM) हैदराबाद हैं। इन्हें जनवरी 2020 में राष्ट्र को समर्पित किया गया था।