गायों के संरक्षण, विकास तथा मवेशी विकास कार्यक्रमों को दिशा देने के लिये अंतरिम बजट 2019-20 में प्रस्तावित 'राष्ट्रीय कामधेनु आयोग' का गठन किया गया है। इसके द्वारा आधुनिक तथा वैज्ञानिक तर्ज पर पशुपालन का आयोजन व नस्लों के संरक्षण और सुधार के लिये कदम उठाए जा सकेंगे।
राष्ट्रीय कामधेनु आयोग, राष्ट्रीय गोकुल मिशन के अंतर्गत मौजूदा कानूनों व नीतियों की समीक्षा, उन्नत उत्पादन और उच्च उत्पादकता हेतु गोधन के इष्टतम आर्थिक उपयोग के लिये उपाय सुझाएगा, जिससे उच्च कृषि आय और डेयरी किसानों के जीवन की बेहतर गुणवत्ता सुनिश्चित हो सके। इसका उद्देश्य सहकारी समितियों, किसान उत्पादक संगठनों और डेयरी उद्योग के साथ-साथ अनुसंधान संस्थानों के साथ समन्वय करना है।
पशु आबादी दुग्ध उत्पादन, खाद और पशु शक्ति के मामले में ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। दुग्ध उत्पादन में भारत विश्व में अग्रणी है, इसके बाद भी भारत में दूध की औसत पैदावार विश्व की औसत पैदावार की केवल 50% है।
गाय के गोबर का उपयोग करते हुए मोबाइल द्वारा होने वाले विकिरण को कम करने के उद्देश्य से राजकोट के श्रीजी गौशाला द्वारा निर्मित गौसेवा कवच चिप का भी अनावरण किया गया।
राष्ट्रीय कामधेनु आयोग द्वारा ‘देशव्यापी कामधेनु दीपावली अभियान’ के अंतर्गत गाय के गोबर पर आधारित उत्पादों, जैसे- दीपक, मोमबत्तियाँ, अगरबत्ती, पेपरवेट, देवी-देवताओं की मूर्तियाँ आदि को बढावा देना है।
राष्ट्रीय कामधेनु आयोग पशुचिकित्सा, पशु विज्ञान, कृषि विश्वविद्यालय या केंद्र/राज्य सरकार के विभागों या संगठनों के सहयोग से काम करेगा, जो गायों के प्रजनन, पालन के साथ जैविक खाद निर्माण व बायोगैस आदि के कार्य में संलग्न हैं।