सिक्किम केंद्रीय विश्वविद्यालय के ‘वनस्पति विज्ञान और बागवानी विभाग’ ने पम्पोर (कश्मीर) और यांगयांग (सिक्किम) क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थितियों व जलवायु में समानता का पता लगाया है। इसके आधार पर केसर की खेती को पूर्वोत्तर राज्यों में विस्तारित करने के उद्देश्य से केसर के पौधों को कश्मीर से सिक्किम ले जाया गया।
ध्यातव्य है कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत स्वायत्त निकाय ‘नॉर्थ ईस्ट सेंटर फॉर टेक्नोलॉजी एप्लिकेशन एंड रीच’ (NECTAR) ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में उच्च गुणवत्ता वाले केसर को बड़ी मात्रा में उगाने की व्यवहार्यता का पता लगाने के लिये पायलट परियोजना में मदद की है।
इस परियोजना के अंतर्गत, फसल कटाई के बाद के प्रबंधन और मूल्य संवर्धन पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है, जिससे गुणवत्तापूर्ण केसर के उत्पादन में सुधार हो सके। इसके परिणामों को पूर्वोत्तर क्षेत्र के अन्य भागों में सूक्ष्म खाद्य उद्यमों के साथ प्रयोग किये जाने के प्रयास भी किये जा रहे हैं।
विदित है कि लम्बे समय से केसर का उत्पादन केंद्रशासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर तक ही सीमित रहा है। यहाँ का पम्पोर क्षेत्र केसर के कटोरे (Saffron Bowl) के रूप में जाना जाता है। यहाँ के बडगाम, श्रीनगर और किश्तवाड़ भी प्रमुख केसर उत्पादक ज़िले हैं।
केसर पारम्परिक कश्मीरी व्यंजनों तथा अपने औषधीय गुणों के कारण कश्मीर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है। यद्यपि कश्मीर के कुछ विशिष्ट क्षेत्रों तक सीमित रहने के कारण इसका उत्पादन सीमित है। केसर की खेती को बढ़ावा देने के लिये वर्ष 2010-2011 में ‘राष्ट्रीय केसर मिशन’ शुरू किया था, जिसके तहत पम्पोर के दुस्स में ‘इंडिया इंटरनेशनल केसर ट्रेड सेंटर’ (केसर पार्क) नाम से एक व्यापार केंद्र बनाया गया था।