i. क्रोनिक सिलिकोसिस (Chronic Silicosis)– सिलिकोसिस बीमारी का यह सबसे सामान्य प्रकार है। इसके अंतर्गत फेफड़ों पर जमा होने वाली सिलिका की सांद्रता अत्यंत कम होती है। इसके लक्षण 10 या उससे अधिक वर्षों में दृष्टिगत होते हैं।
ii. एक्सेलरेटेड सिलिकोसिस (Accelerated Silicosis)– जब क्रोनिक सिलिकोसिस के बाद भी फेफड़ों पर सिलिका के कण जमा होते रहते हैं, तो 5-10 वर्षों में इसके लक्षण उभरते हैं।
iii. एक्यूट सिलिकोसिस (Acute Silicosis)– यह इस बीमारी की सबसे गम्भीर अवस्था है। इसके अंतर्गत मनुष्य तेज़ी से मृत्यु की ओर अग्रसर होने लगता है।
i. यह ट्यूबर क्लोसिस (TB) के समरूप प्रतीत होती है।
ii. इसके लक्षण कई वर्षों के पश्चात् प्रकट होते हैं।
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