कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय के एक विशेषज्ञ पैनल ने लघु और सूक्ष्म उद्यमों के लाभ हेतु ‘लघु सीमित देयता भागीदारी’ (LLP) के गठन की अनुशंसा की है। इसके लिये एल.एल.पी. अधिनियम की धारा 2 (1) में एक नया खंड (ta) जोड़ा जाएगा।
लघु उद्यमियों के लिये व्यापार सुगमता के उद्देश्य से इसमे अपेक्षाकृत सीमित अनुपालन तथा कारोबार में योगदान के आधार पर कम शुल्क व आर्थिक जुर्माने के भुगतान का प्रावधान किया गया है। पैनल ने एल.एल.पी. अधिनियम में संशोधन कर 12 अपराधों को अपराधिक श्रेणी से बाहर करने का सुझाव दिया है।
पैनल ने ऋण बाज़ार से आसानी से पूंजी जुटाने के लिये एल.एल.पी. को गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर (NCD) जारी करने की अनुमति देने की सिफारिश की है। विदित है कि एल.एल.पी. अधिनियम 2008 एल.एल.पी. को ऋण प्रतिभूतियों को जारी करने की अनुमति नहीं देता है।
एल.एल.पी. एक प्रकार की कॉरपोरेट इकाई होती है, जिसमें प्रत्येक भागीदार की देयता उसके द्वारा किये गए निवेश के आधार पर तय होती है। एल.एल.पी. को अनुभवी पेशेवरों के समूह द्वारा बनाया और प्रबंधित किया जाता है।