शून्य-बजट प्राकृतिक कृषि (ZBNF) मुख्य रूप से रसायन मुक्त कृषि की एक विधि है, जिसे महाराष्ट्र के किसान सुभाष पालेकर द्वारा विकसित किया गया है। अतः इसे ‘सुभाष पालेकर प्राकृतिक कृषि’ के नाम से भी जाना जाता है। यह विधि भारतीय पारंपरिक पद्धतियों पर आधारित है।
इसमें न्यूनतम संसाधनों का प्रयोग करते हुए प्राकृतिक तरीके से कृषि की जाती है। इस विधि में यह माना जाता है कि मृदा में पौधों के विकास के लिये आवश्यक पोषक तत्त्व पर्याप्त मात्रा में मौज़ूद होते हैं, इसलिये इसमें उर्वरकों तथा कीटनाशकों का प्रयोग नहीं होता, जिस कारण कृषि लागत ‘शून्य अथवा न्यूनतम’ होती है।
ज़ेड.बी.एन.एफ. मुख्यतः चार स्तंभों पर आधारित है-
जीवामृत अथवा जीवनमूर्ति- इसे गाय के गोबर व मूत्र, दालों के आटे एवं ब्राउन शुगर को मिलाकर निर्मित किया जाता है। यह मृदा में पोषक तत्त्वों को मिलाने के लिये उत्प्रेरक के रूप में कार्य करता है।
बीजामृत- यह एक प्रकार का लेप है, जिसे रोपण से पहले बीजों पर लगाया जाता है।
आच्छादन अथवा मल्चिंग- मृदा की नमी को बनाए रखने के लिये मल्चिंग का सहारा लिया जाता है, यह तीन प्रकार की होती है- लाइव, स्ट्रॉ तथा मृदा मल्चिंग।
व्हापासा अथवा नमी- वह स्थिति जिसके तहत माना जाता है कि ‘नमी’ वायु एवं मृदा में मौज़ूद होता है अतः फसल को सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है अर्थात् नमी की सहायता से ही पौधों का विकास होता है।