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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना 

  • 23rd January, 2023
(प्रारंभिक परीक्षा के लिए - प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना)
(मुख्य परीक्षा के लिए, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र:2 - सरकारी योजनाएं)

योजना का नाम 

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना

आरंभ 

2016

लक्ष्य 

किसानों को फसल के खराब होने की स्थिति में बीमा कवर प्रदान करना

नोडल मंत्रालय 

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय

क्रियान्वयन क्षेत्र 

सभी राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेश 

आधिकारिक बेवसाइट 

pmfby.gov.in

उद्देश्य 

  • किसानों को बुवाई पूर्व से लेकर कटाई के बाद तक की अवधि के लिए स्वैच्छिक फसल बीमा की सुविधा प्रदान करना।
  • प्राकृतिक आपदाएं और विभिन्न कीट तथा रोगों के कारण फसल के नुकसान होने पर किसानों को बीमा कवरेज और वित्तीय सहायता प्रदान करना।
  • किसानों की आय को बढ़ाना तथा स्थायित्व प्रदान करना ताकि वे कृषि कार्य को जारी रख सकें। 
  • किसानों को कृषि में नवाचार एवं आधुनिक पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना।
  • कृषि क्षेत्र में ऋण के प्रवाह को सुनिश्चित करना।

pmfby

प्रीमियम की दर- 

  • किसानों द्वारा सभी खरीफ फसलों के लिए केवल 2% एवं सभी रबी फसलों के लिए 1.5% का एक समान प्रीमियम का भुगतान किया जाएगा। 
  • वार्षिक वाणिज्यिक और बागवानी फसलों के लिए प्रीमियम 5% होगा।
  • किसानों द्वारा भुगतान किये जाने वाले प्रीमियम की दरें बहुत ही कम हैं, और शेष प्रीमियम का भुगतान सरकार द्वारा किया जाएगा, ताकि किसी भी प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं में फसल हानि के लिए किसानों को पूर्ण बीमित राशि प्रदान की जाए।
  • सरकारी सब्सिडी पर कोई ऊपरी सीमा नहीं है, भले ही शेष प्रीमियम 90% हो, यह सरकार द्वारा ही वहन की जाएगी।

fasl-beema-yojna

प्रमुख विशेषताएं 

  • यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है, इसके अंतर्गत,सभी किसान (बटाईदार सहित) पात्रता सूची में शामिल होते है।
  • इसने अन्य सभी मौजूदा कृषि बीमा योजनाओं को प्रतिस्थापित कर दिया है।
  • इस योजना के अंतर्गत खाद्यान फसलों(मोटा अनाज, दलहन), तिलहन एवं वार्षिक वाणिज्यिक/बागवानी फसलों को शामिल किया गया है। 
  • योजना के अंतर्गत, प्रौद्योगिकी के उपयोग को प्रोत्साहित किया जाएगा, दावा भुगतान में होने वाली देरी को कम करने के लिए फसल काटने के डेटा को एकत्रित एवं अपलोड करने हेतु स्मार्ट फोन, रिमोट सेंसिंग, ड्रोन और जीपीएस तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा।
  • इस योजना को कार्यान्वित करने के लिए राज्यों को अपनी बीमा कंपनियाँ स्थापित करने की अनुमति दी गई है। 

किसानों का कवरेज

  • अधिसूचित क्षेत्रों में अधिसूचित फसल उगाने वाले पट्टेदार/ जोतदार किसानों सहित सभी किसान कवरेज के लिए पात्र हैं। 
  • गैर ऋणी किसानों को राज्य में प्रचलित भूमि रिकार्ड अधिकार (आरओआर), भूमि कब्जा प्रमाण पत्र (एलपीसी) आदि आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करना आवश्यक है।
  • अधिसूचित फसलों की कृषि के लिए वित्तीय संस्थानों से कृषि ऋण लेने वाले सभी कृषकों को अनिवार्य रूप से इस बीमा योजना के दायरे में लाया जाएगा।
    • 2020 में केंद्र सरकार ने इन किसानों के लिये भी इसे वैकल्पिक बना दिया है।
  • ऐसे किसान, जिन्होंने कृषि ऋण नहीं लिया है, उनके लिए यह योजना वैकल्पिक होगी। 
  • योजना के तहत अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/महिला किसानों  के अधिकतम कवरेज को सुनिश्चित करने के लिए विशेष प्रयास किये जाएंगे।
  • इस योजना के तहत बजट आबंटन और उपयोग संबंधित राज्य के अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/सामान्य वर्ग द्वारा भूमि-धारण के अनुपात में होगा। 
  • पंचायती राज संस्थाओं को कार्यान्वयन एवं फसल बीमा योजनाओं पर किसानों की प्रतिक्रिया प्राप्त करने के लिए शामिल किया जा सकता है।

जोखिम कवरेज 

  • फसल के निम्नलिखित चरण और फसल नुकसान के लिए जिम्मेदार जोखिम, योजना के अंतर्गत कवर किये जाते हैं -
  • बुवाई/ रोपण से रोक संबंधित जोखिम 
    •  बीमित क्षेत्र में कम बारिश या प्रतिकूल मौसमी परिस्थितियों के कारण बुवाई/ रोपण में उत्पन्न रोक।
  • खड़ी फसल(बुवाई से कटाई तक के लिए) 
    • ना रोके जा सकने वाले जोखिमों जैसे - सूखा, अकाल, बाढ़, सैलाब, कीट एवं रोग, भूस्खलन, प्राकृतिक आग और बिजली, तूफान, ओले, चक्रवात, आंधी, टेम्पेस्ट, तूफान और बवंडर आदि के कारण उपज के नुकसान को कवर करने के लिए व्यापक जोखिम बीमा प्रदान किया जाएगा।
  • कटाई के उपरांत नुकसान 
    • फसल कटाई के बाद चक्रवात और चक्रवाती बारिश और बेमौसम बारिश के विशिष्ट खतरों से उत्पन्न हालत के लिए कटाई से अधिकतम दो सप्ताह तक की अवधि के लिए कवरेज उपलब्ध है।
  • स्थानीयकृत आपदायें 
    • अधिसूचित क्षेत्र में मूसलधार बारिश, भूस्खलन और बाढ़ जैसे स्थानीय जोखिम की घटना से प्रभावित खेतों को उत्पन्न हानि/क्षति।
  • बीमित राशि/कवरेज की सीमा
    • अनिवार्य घटक के तहत ऋणी किसानों के मामले में बीमित राशि, जिला स्तरीय तकनीकी समिति (DLTC) द्वारा निर्धारित वित्तीय माप के बराबर होगी,  जिसे बीमित किसान के विकल्प पर बीमित फसल की अधिकतम उपज के मूल्य तक बढ़ाया जा सकता है। 
    • यदि अधिकतम उपज का मूल्य ऋण राशि से कम है, तो बीमित राशि अधिक होगी।
    • अधिकतम उपज को चालू वर्ष के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के साथ गुणा करने पर बीमा राशि का मूल्य प्राप्त होता है, जहां कहीं भी चालू वर्ष का न्यूनतम समर्थन मूल्य उपलब्ध नहीं है, पिछले वर्ष का न्यूनतम समर्थन मूल्य अपनाया जाएगा।
    • जिन फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा नहीं की गई है, उनके लिए विपणन विभाग/बोर्ड द्वारा स्थापित मूल्य अपनाया जाएगा।
  • निम्नलिखित कारणों में से किसी के कारण फसलों के नुकसान होने पर बीमा कवर लागू नहीं होगा।
    • युद्ध। 
    • परमाणु जोखिम।
    • दंगा।
    • दुर्भावनापूर्ण क्षति।
    • चोरी या शत्रुता का कार्य।
    • घरेलू और/या जंगली जानवरों द्वारा चरे जाना। 

क्रियान्वयन एजेंसी

  • बीमा कंपनियों के कार्यान्वयन पर समग्र नियंत्रण कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के द्वारा किया जाएगा।
  • मंत्रालय द्वारा नामित पैनल में शामिल एआईसी और कुछ निजी बीमा कंपनियॉ वर्तमान में सरकार द्वारा प्रायोजित कृषि, फसल बीमा योजना में भाग लेंगी।
  •  निजी कंपनियों का चुनाव राज्यों के उपर छोड़ दिया गया है, पूरे राज्य के लिए एक बीमा कंपनी होगी।
  • कार्यान्वयन एजेंसी का चुनाव तीन वर्ष की अवधि के लिए किया जा सकता है, तथापि राज्य सरकार/केन्द्र शासित प्रदेश तथा संबंधित बीमा कंपनी, यदि प्रासंगिक हो तो शर्तों पर फिर से बातचीत करने के लिए स्वतंत्र हैं।

प्रबंधन और योजना की निगरानी

  • राज्य में योजना के कार्यक्रम की निगरानी के लिए संबंधित राज्य की फसल बीमा पर राज्य स्तरीय समन्वय समिति (SLCCCI) जिम्मेदार होगी।
  • कृषि सहयोग और किसान कल्याण विभाग के संयुक्त सचिव की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय स्तर की निगरानी समिति(NLMC) राष्ट्रीय स्तर पर इस योजना की निगरानी करेगी।

विशेष वेब पोर्टल और मोबाइल ऐप

  • भारत सरकार ने हाल ही में इस योजना के बेहतर प्रशासन, समन्वय, जानकारी के समुचित प्रचार-प्रसार और पारदर्शिता के लिए एक बीमा पोर्टल शुरू किया है।
  • योजना से संबंधित जानकारी प्रदान करने के लिए एक एंड्रॉयड आधारित फसल बीमा ऐप भी शुरू किया गया है।

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