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Sanskriti Mains Mission: GS Paper - 4

केस स्टडी-1

विनोद एक ईमानदार और निष्ठावान आई.ए.एस. अधिकारी हैं। हाल ही में उन्होंने राज्य सड़क परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक का पदभार ग्रहण किया है, पिछले तीन साल में यह उनका छठा तबादला है। उनके साथी उनके विशाल ज्ञान, मिलनसारिता और ईमानदारी को स्वीकार करते हैं।

राज्य सड़क परिवहन निगम के अध्यक्ष एक शक्तिशाली राजनीतिज्ञ हैं. जो मुख्यमंत्री के बहुत करीबी हैं। विनोद को निगम की अनेक कथित अनियमितताओं और वित्तीय मामलों में अध्यक्ष की मनमानी के बारे में पता चला।

निगम के विरोधी दल के एक बोर्ड सदस्य विनोद से मुलाकात करते हैं और कुछ दस्तावेजों के साथ एक वीडियो रिकॉर्डिंग सौंपते हैं, जिसमें अध्यक्ष क्यू.एम.आर. टायरों की आपूर्ति के लिए एक बड़ा ऑर्डर देने के लिए रिश्वत की मांग करते हुए दिखाई दे रहे हैं। विनोद को याद है कि अध्यक्ष ने क्यू.एम. आर. टायरों के लंबित बिलों को तेजी से निपटाने का काम किया था।

विनोद, बोर्ड सदस्य से पूछते हैं कि वे अपने पास मौजूद तथाकथित ठोस सबूतों के साथ अध्यक्ष को बेनकाब करने से क्यों कतरा रहे हैं। सदस्य उन्हें सूचित करते हैं कि अध्यक्ष ने उनकी धमकियों के सामने झुकने से इनकार कर दिया है। उन्होंने आगे कहा कि अगर विनोद खुद अध्यक्ष को बेनकाब करेंगे तो उन्हें पहचान और जनता का समर्थन मिल सकता है। इसके अलावा वे विनोद से कहते हैं कि एक बार उनकी पार्टी सत्ता में आ जाएगी तो विनोद की पेशेवर वृद्धि सुनिश्चित हो जाएगी।

विनोद को पता है कि अगर उन्होंने अध्यक्ष का भंडाफोड़ किया तो उन्हें दंडित किया जा सकता है और आगे चलकर उन्हें किसी दूर स्थान पर स्थानांतरित भी किया जा सकता है। विनोद जानते हैं कि आगामी चुनाव में विपक्षी दल के सत्ता में आने की बेहतर संभावना है। हालाँकि उन्हें यह भी एहसास है कि बोर्ड सदस्य अपने राजनीतिक लाभों के लिए उनका इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहे हैं।

(a) एक कर्तव्यनिष्ठ सिविल सेवक के रूप में विनोद के लिए उपलब्ध विकल्पों का मूल्यांकन कीजिए।

(b) उपर्युक्त मामले के आलोक में, नौकरशाही के राजनीतिकरण के कारण उत्पन्न होने वाले नैतिक मुद्दों पर टिप्पणी कीजिए।

(सिविल सेवा मुख्य परीक्षा 2023)

29-Jul-2025 | GS Paper - 4

Solutions:

उत्तर :

(a) एक कर्तव्यनिष्ठ सिविल सेवक के रूप में विनोद के लिए उपलब्ध विकल्पों का मूल्यांकन

विकल्प 1:  साक्ष्यों के आधार पर अध्यक्ष के खिलाफ कार्रवाई शुरू करना

विनोद के पास रिश्वत मांगने के ठोस सबूत (वीडियो और दस्तावेज) हैं। वे इन सबूतों को उच्च अधिकारियों, जैसे मुख्य सतर्कता आयुक्त (CVC) या भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) को सौंप सकते हैं।

लाभ :

  • यह कदम भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी ईमानदारी और निष्ठा को दर्शाएगा।
  • जनहित में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देगा।
  • निगम में अनियमितताओं को रोकने में मदद मिलेगी।

जोखिम :

  • अध्यक्ष के मुख्यमंत्री से करीबी रिश्तों के कारण, विनोद को प्रतिशोध का सामना करना पड़ सकता है, जैसे बार-बार तबादले या दंडात्मक कार्रवाई।
  • उनकी व्यक्तिगत और पेशेवर सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।
  • नैतिक पक्ष: यह विकल्प सार्वजनिक सेवा के सिद्धांतों, जैसे ईमानदारी, निष्पक्षता और जनहित के अनुरूप है। हालाँकि, यह व्यक्तिगत और पारिवारिक जीवन पर प्रभाव डाल सकता है।

विकल्प 2 :  सबूतों को नजरअंदाज करना और चुप रहना

विनोद सबूतों को नजरअंदाज कर सकते हैं और अपने कार्यकाल को बिना किसी विवाद के पूरा करने का प्रयास कर सकते हैं।

लाभ :

  • इससे तात्कालिक तनाव और तबादले का जोखिम कम होगा।
  • उनकी वर्तमान स्थिति और करियर स्थिर रहेगा।

जोखिम :

  • भ्रष्टाचार को नजरअंदाज करना नैतिकता और सिविल सेवा मूल्यों के खिलाफ होगा।
  • इससे निगम में अनियमितताएँ और भ्रष्टाचार बढ़ सकता है।
  • भविष्य में उनकी विश्वसनीयता पर सवाल उठ सकते हैं।
  • नैतिक पक्ष: यह विकल्प उनकी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा के विरुद्ध है। यह जनहित की बजाय व्यक्तिगत हित को प्राथमिकता देता है।

विकल्प 3: विपक्षी दल के साथ सहयोग करना

विनोद विपक्षी दल के बोर्ड सदस्य के साथ मिलकर अध्यक्ष को सार्वजनिक रूप से बेनकाब कर सकते हैं, जैसा कि बोर्ड सदस्य ने सुझाया है।

लाभ :

  • यदि विपक्षी दल सत्ता में आता है, तो विनोद को पेशेवर लाभव समर्थन मिल सकता है।
  • यह भ्रष्टाचार को उजागर करने का एक तेज और प्रभावी तरीका हो सकता है।

जोखिम :

  • यह कदम उन्हें राजनीतिक गुटबाजी में शामिल कर सकता है. जो एक नौकरशाह के लिए अनुचित है।
  • उनकी निष्पक्षता और विश्वसनीयता पर सवाल उठ सकते हैं।
  • यदि विपक्ष सत्ता में नहीं आता, तो उनकी स्थिति और खराब हो सकती है।
  • नैतिक पक्ष : यह विकल्प नौकरशाही की निष्पक्षता और तटस्थता के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है। यह व्यक्तिगत लाभ के लिए नैतिकता से समझौता करने जैसा है।

विकल्प 4 : आंतरिक सुधारों पर ध्यान देना

विनोद सबूतों को तुरंत उजागर करने के बजाय, निगम में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए आंतरिक सुधार शुरू कर सकते हैं। वे बिना किसी को निशाना बनाए प्रक्रियाओं को मजबूत कर सकते हैं।

लाभ :

  • यह दीर्घकालिक सुधारों को बढ़ावा देगा और भ्रष्टाचार को कम करेगा।
  • इससे उनकी निष्पक्षता बनी रहेगी और प्रतिशोध का जोखिम कम होगा।

जोखिम :

  • यह भ्रष्टाचार के तात्कालिक मामलों को संबोधित नहीं करेगा।
  • सुधारों को लागू करने में समय लगेगा और अध्यक्ष द्वारा बाधाएँ उत्पन्न की जा सकती हैं।
  • नैतिक पक्ष: यह विकल्प जनहित और नौकरशाही की निष्पक्षता को बनाए रखता है, लेकिन तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता को पूरी तरह संबोधित नहीं करता।

अनुशंसित कदम

विनोद को विकल्प 1 चुनना चाहिए, जिसमें वे सबूतों को उचित प्राधिकरण (जैसे- CVC या ACB) को सौंपें। यह कदम उनकी ईमानदारी, निष्पक्षता और जनहित के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। हालाँकि, उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह प्रक्रिया गोपनीय और कानूनी रूप से उचित हो, ताकि प्रतिशोध का जोखिम कम हो। साथ ही, वे अपने कार्यों को दस्तावेजीकृत करें और उच्च अधिकारियों को सूचित करें ताकि पारदर्शिता बनी रहे।

(b) नौकरशाही के राजनीतिकरण से उत्पन्न नैतिक मुद्दे

नौकरशाही का राजनीतिकरण तब होता है जब सिविल सेवक अपने पेशेवर कर्तव्यों को निष्पक्षता की बजाय राजनीतिक दबावों, पक्षपात या व्यक्तिगत लाभ के आधार पर निभाते हैं। इस केस में, विपक्षी दल विनोद को अपने राजनीतिक लाभ के लिए उपयोग करने की कोशिश कर रहा है, जो नौकरशाही के राजनीतिकरण का स्पष्ट उदाहरण है। इससे उत्पन्न नैतिक मुद्दे निम्नलिखित हैं-

  • निष्पक्षता का हनन: नौकरशाही का मूल सिद्धांत निष्पक्षता और तटस्थता है। जब सिविल सेवक राजनीतिक दलों के साथ गठजोड़ करते हैं, तो उनकी निष्पक्षता खतरे में पड़ती है। इस मामले में, यदि विनोद विपक्षी दल के साथ सहयोग करते हैं, तो उनकी निष्पक्ष छवि धूमिल हो सकती है।
  • ईमानदारी और नैतिकता से समझौता राजनीतिक दबाव: सिविल सेवकों को भ्रष्टाचार को नजरअंदाज करने या गलत कार्यों में शामिल होने के लिए प्रेरित कर सकता है। इस केस में, विनोद के सामने यह दुविधा है कि वे भ्रष्टाचार को उजागर करें या चुप रहें, जिससे उनकी नैतिकता पर सवाल उठ सकता है।
  • जनहित के प्रति जवाबदेही का अभाव: जब नौकरशाह राजनीतिक लाभ के लिए काम करते हैं, तो वे जनहित की बजाय व्यक्तिगत या राजनीतिक हितों को प्राथमिकता देते हैं। यह जनता के विश्वास को कम करता है।
  • प्रतिशोध का डर: बार-बार तबादले और दंडात्मक कार्रवाइयाँ, जैसा कि विनोद के मामले में देखा गया, सिविल सेवकों को सही कदम उठाने से रोक सकती हैं। यह राजनीतिकरण का एक नकारात्मक प्रभाव है, जो सिविल सेवकों की स्वतंत्रता को सीमित करता है।
  • संस्थागत विश्वसनीयता पर प्रभाव: नौकरशाही का राजनीतिकरण सरकारी संस्थानों की विश्वसनीयता को कम करता है। यदि विनोद जैसे अधिकारी भ्रष्टाचार को उजागर करने में असमर्थ होते हैं, तो जनता का सरकार पर भरोसा कम हो जाता है।


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